Dhananjay Parmar ना जाने क्यु कोसते है लोग बदसुरती को.. बरबाद करने वाले तो हसीन चहेरे होते है.. |
This is just poem and shayari,
And
Story
एक युवक क़रीब 20 साल के बाद विदेश से अपने
शहर लौटा था ! बाज़ार में घुमते हुए
सहसा उसकी नज़रें सब्जी का ठेला लगाये एक बूढे
पर जा टिकीं ! बहुत कोशिश के बावजूद भी युवक
उसको पहचान नहीं पा रहा था ! लेकिन न जाने बार
बार ऐसा क्यों लग रहा था की वो उसे
बड़ी अच्छी तरह से जनता है ! उत्सुकता उस बूढ़े से
भी छुपी न रही, उसके चेहरे पर आई अचानक मुस्कान
से वह युवक समझ गया था कि उसने युवक
को पहचान लिया था !
काफी देर ...की जेहनी कशमकश के बाद जब युवक
ने उसे पहचाना तो उसके पाँव के नीचे से
मानो ज़मीन खिसक गई ! जब युवक विदेश
गया था तो उस बुढे की एक बड़ी आटा मिल हुआ
करती थी, घर में नौकर चाकर कIम किया करते थे !
धर्म कर्म, दान पुण्य में सब से अग्रणी इस
दानवीर पुरुष को युवक ताऊजी कह कर
बुलाया करता था ! वही आटा मिल का मालिक और
आज सब्जी का ठेला लगाने पर मजबूर .. ?
युवक से रहा नहीं गया और वो उसके पास
जा पहुँचा और बहुत मुश्किल से रुंधे गले से पूछा :
"ताऊ जी, ये सब कैसे हो गया ...?"
भरी ऑंखें से बूढ़े ने युवक के कंधे पर हाथ रख
उत्तर दिया : "बच्चे अब बड़े हो गए हैं बेटा" !!
Dhananjay Parmar Kisi ki itni aadat na banao, Agar saans bhi lo to uski jarurat pade. |
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