Monday, June 29, 2015

The Silent Scream

Dhananjay Parmar
Dhananjay Parmar

गर्भपात करवाना गलत माना गया है, कृपया इस लेख को अवश्य पढ़े
और
अगर इसे पढ़ कर आपके दिल की धड़कने बढ़ जाये
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गर्भस्थ
बच्ची की हत्या का आँखोँ देखा विवरण :
अमेरिका में सन 1984 में एक सम्मेलन हुआ था - 'नेशनल राइट्स
टू लाईफ
कन्वैन्शन'। इस सम्मेलन के एक प्रतिनिधि ने डॉ॰ बर्नार्ड
नेथेनसन के
द्वारा गर्भपात
की बनायी गयी एक
अल्ट्रासाउण्ड फिल्म 'साइलेण्ट
स्क्रीम' (गूँगी चीख)
का जो विवरण
दिया था, वह इस प्रकार है- 'गर्भ की वह मासूम
बच्ची अभी दस सप्ताह
की थी व काफी चुस्त
थी।
हम उसे अपनी माँ की कोख मेँ खेलते,
करवट बदलते
व अंगूठा चूसते हुए देख रहे थे। उसके दिल
की धड़कनों को भी हम देख पा रहे थे और
वह उस
समय 120 की साधारण गति से धड़क रहा था। सब कुछ
बिलकुल
सामान्य था; किन्तु जैसे ही पहले औजार (सक्सन
पम्प) ने
गर्भाशय की दीवार को छुआ, वह मासूम
बच्ची डर से एकदम घूमकर सिकुड़
गयी और उसके
दिल की धड़कन काफी बढ़
गयी।
हालांकि अभी तक किसी औजार ने
बच्ची को छुआ तक
भी नहीं था, लेकिन
उसे अनुभव हो गया था कि कोई चीज उसके आरामगाह,
उसके
सुरक्षित क्षेत्र पर हमला करने का प्रयत्न कर
रही है। हम
दहशत से भरे यह देख रहे थे कि किस तरह वह औजार उस
नन्हीं-मुन्नी मासूम गुड़िया-
सी बच्ची के टुकड़े-टुकड़े कर रहा था।
पहले कमर,
फिर पैर आदि के टुकड़े ऐसे काटे जा रहे थे जैसे वह
जीवित
प्राणी न होकर कोई गाजर-मूली हो और
वह
बच्ची दर्द से छटपटाती हुई, सिकुड़कर
घूम-घूमकर
तड़पती हुई इस हत्यारे औजार से बचने का प्रयत्न
कर
रही थी। वह इस बुरी तरह
डर
गयी थी कि एक समय उसके दिल
की धड़कन 200 तक पहुँच गयी! मैँने
स्वंय
अपनी आँखों से उसको अपना सिर पीछे
झटकते व
मुँह खोलकर चीखने का प्रयत्न करते हुए देखा, जिसे
डॉ॰
नेथेनसन ने उचित
ही 'गूँगी चीख'
या 'मूक पुकार' कहा है। अंत मेँ हमने वह नृशंस
वीभत्स दृश्य
भी देखा, जब
सँडसी उसकी खोपड़ी को तोड़ने
के लिए
तलाश रही थी और फिर दबाकर उस कठोर
खोपड़ी को तोड़
रही थी क्योँकि सिर
का वह भाग बगैर तोड़े सक्शन ट्यूब के माध्यम से बाहर
नहीं निकाला जा सकता था।' हत्या के इस
वीभत्स
खेल को सम्पन्न करने में करीब पन्द्रह मिनट
का समय
लगा और इसके दर्दनाक दृश्य का अनुमान इससे अधिक और कैसे
लगाया जा सकता है कि जिस डॉक्टर ने यह गर्भपात किया था और
जिसने मात्र
कौतूहलवश इसकी फिल्म
बनवा ली थी,
उसने जब स्वयं इस फिल्म को देखा तो वह
अपना क्लीनिक
छोड़कर चला गया और फिर वापस नहीं आया ! 





The Silent Scream is a 1984 anti abortion documentary video directed and narrated by Bernard Nathanson, an obstetrician, NARAL Pro Choice America founder, and abortion provider turned pro life activist, and produced in partnership with the National Right to Life Committee. The film depicts the abortion process via ultrasound and shows an abortion taking place in the uterus. During the abortion process, the fetus is described as appearing to make outcries of pain and discomfort. The video has been a popular tool used by the pro-life campaign in arguing against abortion, although it has been criticized as misleading by members of the medical community.



for surrogate mother
'कोख का किराया' मिलेंगा

विज्ञान वरदान है, लेकिन यदि उसका गलत इस्तेमाल होने लगे तो मानवता के लिए घातक भी बन जाता है। ऐसा ही कुछ हो रहा है सरोगेसी ( सोरोगेट मदर ) के साथ।

इंफर्टिलिटी और आईवीएफ क्लीनिकों पर किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि औलाद पाने के इच्छुक माता-पिता की मांग पूरी करने और अपने आर्थिक फायदे के लिए डॉक्टर किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

इसमें काफी हैरान करने वाली बातें सामने आई हैं।

अध्ययन के मुताबिक, एक औलाद के लिए डॉक्टर दो से तीन सरोगेट को गर्भधारण करा देते हैं।
जिस सरोगेट मां के गर्भ में बच्चे का बेहतर विकास हो रहा होता है, उसे छोड़कर बाकियों का गर्भपात करा दिया जाता है। ऐसी घटनाएं मानवता को शर्मसार करने वाली हैं। साथ ही इससे यह भी साबित होता है कि नैतिकता को ताक पर रखकर व्यावसायिक हित साधने के लिए कोख का इस्तेमाल फैक्ट्री के रूप में हो रहा है।

सरोगेसी ( सोरोगेट मदर ) को खतरों के बारे में नहीं बताते।

अध्ययन के दौरान व्यावसायिक सरोगेसी में तीन चीजों बहु गर्भधारण (मल्टीपल प्रेग्नेंसी), गर्भ में बच्चे का खराब होना और प्रसव के तरीकों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया।

इसमें पाया गया कि सेरोगेट मां सरोगेसी के लिए अपनी सहमति तो देती है, लेकिन इसके बाद के ज्यादातर फैसले डॉक्टर खुद ही करते हैं।

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