Monday, June 30, 2014

Kisiko Meri Maut Pe Bhi Khushi Mil Jaye To Kya Baat Hai

Dhananjay Parmar
Dhananjay Parmar
इन लम्हो की यादे जरा सँभाल के रखना,
हम याद तो आँयेगे मगर लौट के नही

Hi friend’s
This is just poem and shayari,



KYA BAAT HAI.

Kitabo Ke Panne Palat Ke Sochte Hai,
Yu Palat Jaye Zindagi To Kya Baat Hai.

Tamanna Jo Puri Ho Khwabo Me,
Haqikat Ban Jae To Kya Baat Hai.

Kuch Log Matlab Ke Liye Dhundte Hai Mujhe,
Bina Matlab Koi Aye To Kya Baat Hai.

Katal Kar Ke To Sab Le Jayenge Dil Mera,
Koi Apna Bana Ke Le Jaye To Kya Baat Hai.

Jo Sharifo Ki Sharaft Me Na Ho Baat,
Ek Sharabi Keh Jaye To Kya Baat Hai.

Zinda Rehne Tak To Khushi Denge Sabko,
Kisiko Meri Maut Pe Bhi Khushi Mil Jaye To Kya Baat Hai.




Saturday, June 28, 2014

Marr Jayen To Jeeny Ki Dua Deti Hai Duniya

Dhananjay Parmar
Dhananjay Parmar
Maut to sirf naam se hi badnaam hai……. 
Warna takhleef to zindagi bhi bahot deti hai…….!
Hi friend’s
This is just poem and shayari,



Aesy bhi Mohabbat ki saza deti hai Duniya
Marr jayen to jeeny ki dua deti hai Duniya

Ye zakhm mohabbat ka hai ,Dikhana na kisi ko
La ker Sar-e-Bazar sajaa deti hai Duniya

Qismat pe karo naaz na itna b Faqeero
Hathon ki Laqeeron ko mitta deti hai Duniya

Marny k liye kerti hai Majboor to lekin
Jeeny k Tareeqy bhi Sikha deti hai Duniya

Aesy bhi mohabbat ki saza deti hai duniya ….



Dhananjay Parmar
Dhananjay Parmar

Sunday, June 1, 2014

Tere Baad Koi Bewafa Na Lage

Dhananjay Parmar
Teri   Dosti  Ne  Diya  "SAKOON"  Itna  ....!
Ke   Tere  Baad  Koi   "ACHHA"  NA   Laga ...!
Tujhe   Karni   Hai  "BEWAFAI" to  Is   Ada  Se   Kar ...!
Ke   Tere  Baad  Koi  "BEWAFA"  Na   Lage ...!

Hi friend’s
This is just poem and shayari,
And Story



स्वर्ग में विचरण करते हुए
अचानक एक दुसरे के सामने गए

विचलित से कृष्ण ,प्रसन्नचित सी राधा

कृष्ण सकपकाए, राधा मुस्काई
इससे पहले कृष्ण कुछ कहते राधा बोल उठी

कैसे हो द्वारकाधीश ?

जो राधा उन्हें कान्हा कान्हा कह के बुलाती थी
उसके मुख से द्वारकाधीश का संबोधन
कृष्ण को भीतर तक घायल कर गया
फिर भी किसी तरह अपने आप को संभाल लिया

और बोले राधा से ………
मै तो तुम्हारे लिए आज भी कान्हा हूँ
तुम तो द्वारकाधीश मत कहो!

आओ बैठते है ….
कुछ मै अपनी कहता हूँ कुछ तुम अपनी कहो

सच कहूँ राधा जब जब भी तुम्हारी याद आती थी
इन आँखों से आँसुओं की बुँदे निकल आती थी

बोली राधा ,मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ
ना तुम्हारी याद आई ना कोई आंसू बहा
क्यूंकि हम तुम्हे कभी भूले ही कहाँ थे
जो तुम याद आते

इन आँखों में सदा तुम रहते थे
कहीं आँसुओं के साथ निकल ना जाओ
इसलिए रोते भी नहीं थे

प्रेम के अलग होने पर तुमने क्या खोया
इसका इक आइना दिखाऊं आपको ?

कुछ कडवे सच ,प्रश्न सुन पाओ तो सुनाऊ?

कभी सोचा इस तरक्की में तुम कितने पिछड़ गए
यमुना के मीठे पानी से जिंदगी शुरू की
और समुन्द्र के खारे पानी तक पहुच गए ?

एक ऊँगली पर चलने वाले सुदर्शन चक्रपर
भरोसा कर लिया और
दसों उँगलियों पर चलने वाळी
बांसुरी को भूल गए ?

कान्हा जब तुम प्रेम से जुड़े थे तो ….
जो ऊँगली गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगों को विनाश से बचाती थी
प्रेम से अलग होने पर वही ऊँगली
क्या क्या रंग दिखाने लगी
सुदर्शन चक्र उठाकर विनाश के काम आने लगी

कान्हा और द्वारकाधीश में
क्या फर्क होता है बताऊँ
कान्हा होते तो तुम सुदामा के घर जाते
सुदामा तुम्हारे घर नहीं आता

युद्ध में और प्रेम में यही तो फर्क होता है
युद्ध में आप मिटाकर जीतते हैं
और प्रेम में आप मिटकर जीतते हैं
कान्हा प्रेम में डूबा हुआ आदमी
दुखी तो रह सकता है
पर किसी को दुःख नहीं देता

आप तो कई कलाओं के स्वामी हो
स्वप्न दूर द्रष्टा हो
गीता जैसे ग्रन्थ के दाता हो

पर आपने क्या निर्णय किया
अपनी पूरी सेना कौरवों को सौंप दी?
और अपने आपको पांडवों के साथ कर लिया
सेना तो आपकी प्रजा थी
राजा तो पालाक होता है
उसका रक्षक होता है

आप जैसा महा ज्ञानी
उस रथ को चला रहा था जिस पर बैठा अर्जुन
आपकी प्रजा को ही मार रहा था
आपनी प्रजा को मरते देख
आपमें करूणा नहीं जगी

क्यूंकि आप प्रेम से शून्य हो चुके थे

आज भी धरती पर जाकर देखो
अपनी द्वारकाधीश वाळी छवि को
ढूंढते रह जाओगे हर घर हर मंदिर में
मेरे साथ ही खड़े नजर आओगे

आज भी मै मानती हूँ
लोग गीता के ज्ञान की बात करते हैं
उनके महत्व की बात करते है

मगर धरती के लोग
युद्ध वाले द्वारकाधीश पर नहीं
प्रेम वाले कान्हा पर भरोसा करते हैं
गीता में मेरा दूर दूर तक नाम भी नहीं है
पर आज भी लोग उसके समापन पर

राधे राधेकरते है