Monday, July 29, 2013

Zindagi Dobara Nahi Milti Waqt Badal Ne Ke Liye

Dhananjay Parmar
Dhananjay Parmar
Waqt sabko milta he zindagi badalne ke liye
Par Zindagi dobara nahi milti waqt badal ne Ke liye

Hi friend’s
This is just poem and shayari,


ईश्वर का दिया कभी अल्प नहीं होता;
जो टूट जाये वो संकल्प नहीं होता;
हार को लक्ष्य से दूर ही रखना;
क्योंकि जीत का कोई विकल्प नहीं होता।

जिंदगी में दो चीज़ें हमेशा टूटने के लिए ही होती हैं:
"सांस और साथ"
सांस टूटने से तो इंसान 1 ही बार मरता है;
पर किसी का साथ टूटने से इंसान पल-पल मरता है।

जीवन का सबसे बड़ा अपराध - किसी की आँख में आंसू आपकी वजह से होना।
और
जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि - किसी की आँख में आंसू आपके लिए होना।

जिंदगी जीना आसान नहीं होता;
बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता;
जब तक न पड़े हथोड़े की चोट;
पत्थर भी भगवान नहीं होता।

जरुरत के मुताबिक जिंदगी जिओ - ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं।
क्योंकि जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है;
और ख्वाहिशें बादशाहों की भी अधूरी रह जाती है। 

मनुष्य सुबह से शाम तक काम करके उतना नहीं थकता;
जितना क्रोध और चिंता से एक क्षण में थक जाता है।

दुनिया में कोई भी चीज़ अपने आपके लिए नहीं बनी है।
जैसे:
दरिया - खुद अपना पानी नहीं पीता।
पेड़ - खुद अपना फल नहीं खाते।
सूरज - अपने लिए हररात नहीं देता।
फूल - अपनी खुशबु अपने लिए नहीं बिखेरते।
मालूम है क्यों?
क्योंकि दूसरों के लिए ही जीना ही असली जिंदगी है।

मांगो तो अपने रब से मांगो;
जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत;
लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना;
क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी।

कभी भी 'कामयाबी' को दिमाग और 'नकामी' को दिल में जगह नहीं देनी चाहिए।
क्योंकि, कामयाबी दिमाग में घमंड और नकामी दिल में मायूसी पैदा करती है।

कौन देता है उम्र भर का सहारा। लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं।

कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए।
यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता?

Dhananjay Parmar
Dhananjay Parmar

Tuesday, July 23, 2013

Ye Pyar To Itefaq Se Hota Ha

Dhananjay Parmar
Dhananjay Parmar
Rooh Tak Nilam Ho Jati Hai Bazar-E-Ishq Main
Itna Aasaan Nahi Hota Kisi Ko Apna Bana Lena

Hi friend’s
This is just poem and shayari,



सुन्दर कौन ...कैसा सौंदर्य ...

मैं खोज रही हूँ .. 
जीवन की किताब में, 
सौंदर्य के नए अर्थ... क्यूंकि.. 
बुनना चाहती हूँ नयी अभिलाषाएं 
गढ़ना चाहती हूँ नयी परिभाषाएं 
तुम मेरी मदद करोगे ना... 
तो फिर तुम भी ढूढो ... अपनी अपनी किताबों में... 
बदलते दौर के नए सन्दर्भ
खोजो ...कि आखिर क्या है सुन्दरता 
क्या वही ... जो आँखों को भाए,और दिल में उतर जाये... या फिर वो .
जिसे देखने के बाद ,आँखों की नींद.. दिल का करार छिन जाये.. या वो 
जिसे एक बार देखकर... बार बार देखने कि तमन्ना में.... दिल हातिमताई हो जाये ...मिस वर्ड-मिस यूनिवर्स -मिस इंडिया .
क्या नहीं करती, इन्ही सब परिभाषाओं का प्रतिनिधित्व.. 
जिसकी प्रेरणा से सजग है,हर नारी...
अपने सौंदर्य के प्रति,
तुम भी तो ऐसे ही सौंदर्य पर रीझते हो न... 
क्या बोले.... नहीं...?
तो आओ.... देखना चाहोगे ....हिम्मत और हौसले के सौन्दर्य को...
निहारना चाहोगे... मौत को भी हराने वाली, जीवटता के सौंदर्य को ....
लक्ष्मी और शाइना परवीन के बारे में क्या कहोगे...?
या उनकी जैसी कई युवतियों के बारे में ...,
जिनके स्वर्ण से मासूम सौंदर्य को, किसीने गलाकर रख दिया... 
अपनी तेजाबी नफरत में... ,
क्या हुआ डर गए... या सोच में पड़ गए
इनका सौंदर्य भी उतना ही कोमलतम था, 
वही चमक ...वही नूर था,
आँखों में कुछ सपने भी थे 
जो पूरे अभी करने भी थे......
अब न वो ऑंखें रही... न ही वो अरमान
क्यूं धरेही रहे ,प्रकृति के सब विधि विधान ,
लेकिन ...मेरा विशवास करो ....
वो नहीं ...यही सौंदर्य है 
अनुकरणीय 
सराहनीय 
क्योकि खुद चेहरे की पहचान तक से 
होकर बेज़ार.... इन्होने ही दिया है 
नित- नए, कँवल -सौन्दर्य को.... निचिंत मुस्कराने का ऑज़ार
एक भरोसा .. 
और कानून के रूप मेंदिया है... , अपनी गली... झुलसी... कुरूप ....कराहती ....त्वचा से भी.... 
देश की बेटियों को एक सौंदर्य -सुरक्षा कवच! 
Credit : नीतू भारद्वाज


Dhananjay Parmar
Dhananjay Parmar

Sunday, July 21, 2013

Mere Liye Itna Kaafi Hai Ke

Dhananjay Parmar
Dhananjay Parmar
Aaina tutkar aks pe shak nahi karta
Bina gul ke gulshan mehka nahi karta
Badnaseeb to seene mei chupa hua dil he
Toot ke chur ho jata he, lekin uff bhi nahi karta

Hi friend’s

This is just poem and shayari,




60 बरस की काठी लेकर, फिर आज मातम मनाता..
जलती चिता संग बैठा, मैं बुझता आफताफ हूँ..
मत पूछो गांव मेरा, क्या नाम है मेरा..
शहीद--हिंद फौजी का, मैं वो बूढा-बाप हू..
CCD में ही तुम बैठो यारों, तुमने कब-कुछ खोया है..
गप्पों में क्या पता पड़ेगा, क्यूँ आज तिरंगा रोया है..!!!






गोली खायी थी सीने में, जिस माटी के लाल ने..
देखो कैसे सो रहा वो, मोक्ष के अंतिम चौपाल में..
माँ घर पे विलख रही है, बच्चे झूठ संग सो जायेंगे..
बीवी "बेवा" बन गयी अब, हर वादे मुर्दा हो जायेंगे..
Macdonlds में तुम बर्गर खाते, तुमने कब कुछ खोया है..
शहीद हुआ वो लाल था मेरा, फिर आज तिरंगा रोया है..!!!






कल तलक ये अंगारे भी, राख में ढल जायेंगे..
माटी से आये थे फिर माटी में मिल जायेंगे..
जिस जिस्म की जान, फकत वतन से होती है..
तपती वेदी संग दुखियारी, वो राख अभी से रोती है..
XXX पे तुम कसक मिटाते..तुमने कब क्या खोया है..
नंगे-जिस्मो में क्या पता पड़ेगा, क्यूँ आज तिरंगा रोया है..!!!






मत देना सोने के तमगे और उम्मीदों के गलियारे..
जब वो जिगर का टुकड़ा चला गया..करके बे-सहारे..
मत देना कोई ईनाम, उसकी शहादत के ईमान का..
वीर बेटा था जो मरा, क्या गया हिन्दुस्तान का..
Incentive की बातों में, तुमने कब कुछ खोया है..
तुमको क्या फरक पड़ेगा, फिर आज तिरंगा रोया है..!!!
....फिर आज तिरंगा रोया है..!!!
....फिर आज तिरंगा रोया है..!


Credit : Unknown Person
For : Republic of India / Bharat Ganrajya : Soldier


Dhananjay Parmar
Dhananjay Parmar

Saturday, July 20, 2013

Mein Ney Tujhay Kho Ker Kiya Khoya Hai

Dhananjay Parmar
Dhananjay Parmar
Jo cheez meri hai ussay koi aur na dakhay,
Insan bhi mohhabat main, bachon ki tarhan sochta hai,


Hi friend’s
This is just poem and shayari,
And Story


૩૪ વર્ષનો એક ધનવાન અને સફળ માણસ
દરિયા કિનારે બેંચ પર બેઠો હતો. નવી
લીધેલી મર્સિડીઝ તેની પાછળ પાર્ક કરેલી હતી,
કાંડા પર રોલેક્ષનું નવું મોડલ હતું,
હાથમાં બ્લેકબેરી, અરમાનીનું સુટ, ઇટાલિયન શુઝ,
સ્વીસ બેંકની ચેક બૂક બાજુમાં પડેલી હતી અને
છતાં તેની આંખોમાં દુખના આંસુ હતા.
ખબર કેમ ?
કારણ કે સામેની બેંચ પર કેટલાક મિત્રો સાથે મળીને
કોઈનો બર્થ ડે સેલીબ્રેટ કરતા હતા તેના પર
માણસનું ધ્યાન હતું…!


મોરલ :
જયારે તમે તમારા જીગરી અને લંગોટિયા યારોને મિસ
કરતા હો ત્યારે ગમે તેવી લક્ઝરી પણ તમારા આંસુ
ના રોકી શકે…!
ડેડીકેટેડ ટુ એવરી જીગરીજાન દોસ્તાર !
ખરીદ શકતે અગર ઉનકા સાથ,
તો અપની જિંદગી બેચ કર ભી ખરીદ લેતેપર
ક્યાં કરે,
દોસ્તીઓરપ્યારહમેશા….
કીમત સે નહિકિસ્મત સે મિલતે હે…”
Credit : Maya



Dhananjay Parmar
Dhananjay Parmar