बिछड़ गए तो ये दिल उम्र भर लगेगा नहीं
लगेगा लगने लगा है मगर लगेगा नहीं
नहीं लगेगा उसे देख कर मगर ख़ुश है
मैं ख़ुश नहीं हूँ मगर देख कर लगेगा नहीं
हमारे दिल को अभी मुस्तक़िल पता न बना
हमें पता है तिरा दिल उधर लगेगा नहीं
जुनूँ का हज्म ज़्यादा तुम्हारा ज़र्फ़ है कम
ज़रा सा गमला है इस में शजर लगेगा नहीं
इक ऐसा ज़ख़्म-नुमा दिल क़रीब से गुज़रा
दिल उस को देख के चीख़ा ठहर लगेगा नहीं
जुनूँ से कुंद किया है सो उस के हुस्न का कील
मिरे सिवा किसी दीवार पर लगेगा नहीं
बहुत तवज्जोह त'अल्लुक़ बिगाड़ देती है
ज़ियादा डरने लगेंगे तो डर लगेगा नहीं
Credit :
Umair Najmi
No comments:
Post a Comment