Thursday, October 23, 2014

Ye Marz Bhi Kya Khoob Hai Jise Ishq Kahte Hai

Dhananjay Parmar
Dhananjay Parmar
Kabhi tanhayi, kabhi tadap, kabhi bebasi to kabhi intazaar..!!!
Ye marz bhi kya khoob hai jise ishq kahte hai..!!!

Hi friend’s
This is just poem and shayari,
And Story


Heart touching lines....

पटाखो कि दुकान से दूर हाथों मे
कुछ सिक्के गिनते मैने उसे देखा...

एक गरीब बच्चे कि आखों मे,
मैने दिवाली को मरते देखा.

थी चाह उसे भी नए कपडे पहनने की...
पर उन्ही पूराने कपडो को मैने उसे साफ करते देखा.

तुमने देखा कभी चाँद पर बैठा पानी?
मैने उसके रुखसर पर बैठा देखा.

हम करते है सदा अपने ग़मो कि नुमाईश...
उसे चूप-चाप ग़मो को पीते देखा.

थे नही माँ-बाप उसके..
उसे माँ का प्यार आैर पापा के हाथों की कमी मेहंसूस करते देखा.

जब मैने कहा, "बच्चे, क्या चहिये तुम्हे"?
तो उसे चुप-चाप मुस्कुरा कर "ना" मे सिर हिलाते देखा.

थी वह उम्र बहुत छोटी अभी...
पर उसके अंदर मैने ज़मीर को पलते देखा

रात को सारे शहर कि दीपो कि लौ मे...
मैने उसके हसते, मगर बेबस चेहरें को देखा.

हम तो जीन्दा है अभी शान से यहा.
पर उसे जीते जी शान से मरते देकखा.

नामकूल रही दिवाली मेरी...
जब मैने जि़दगी के इस दूसरे अजीब से पहेलु को देखा.

कोई मनाता है जश्न
आैर कोई रेहता है तरस्ता...

मैने वो देखा..
जो हम सब ने देख कर भी नही देखा.

लोग कहते है, त्योहार होते है जि़दगी मे खूशीयो के लिए,

तो क्यो मैने उसे मन ही मन मे घूटते और तरस्ते देखा...


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