Sunday, March 31, 2024

Aadhi Aadhi Raat Tak Sadkon Ke Chakkar Katiye

आधी आधी रात तक सड़कों के चक्कर काटिए

शाइरी भी इक सज़ा है ज़िंदगी भर काटिए

 

शब गए बीमार लोगों को जगाना ज़ुल्म है

आप ही मज़लूम बनिए रात बाहर काटिए

 

जाल के अंदर भी मैं तड़पूँगा चीख़ूँगा ज़रूर

मुझ से ख़ाइफ़ हैं तो मेरी सोच के पर काटिए

 

कोई तो हो जिस से उस ज़ालिम की बातें कीजिए

चौदहवीं का चाँद हो तो रात छत पर काटिए

 

रोने वाली बात भी हो तो लतीफ़ा जानिए

उम्र के दिन काटने ही हैं तो हँस कर काटिए

 

Credit : Nisar Nasik 

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