Monday, November 23, 2015
Sunday, November 22, 2015
Ab Koi Sauda Koi Junoon Bhi Nahi
Dhananjay Parmar |
प्रणाम मित्रो ,
यह कविता / शायरी , अहमद फ़राज़ जी की हे। अहमद फ़राज़ का मूल नाम सैयद अहमद
शाह है। आप आधुनिक युग के उर्दू के सबसे उम्दा शायरों में गिने जाते हैं।
"फ़राज़" अब
कोई सौदा कोई जुनूँ भी नहीं
मगर क़रार से दिन कट रहे
हों यूँ भी नहीं
लब-ओ-दहन भी मिला
गुफ़्तगू का फ़न भी मिला
मगर जो दिल पे गुज़रती है
कह सकूँ भी नहीं
मेरी ज़ुबाँ की लुक्नत से
बदगुमाँ न हो
जो तू कहे तो तुझे उम्र
भर मिलूँ भी नहीं
"फ़राज़" जैसे कोई दिया तुर्बत-ए-हवा चाहे है
तू पास आये तो मुमकिन है
मैं रहूँ भी नहीं
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